www.swargvibha.in






बसर

 

 

नज़रें- इनायत तेरी, अपनी नज़र कर लीं,
बख़्शा है जो भी तूने, उसमें बसर कर ली ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

HTML Comment Box is loading comments...
 

 

Free Web Hosting