भीड़ भी है धूल भी है सुस्त सी रफ़्तार है तू ग़रीबी और घोटालों से बहुत लाचार है सत्य के संग ज़िन्दगी जीना यहाँ दुश्वार है अय वतन मेरे मुझे फिरभी तुझी से प्यार है
बृजेश यादव