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डर

 

 

उफ्फ़, दफ़अतन ये क्या हो गया,
शरारों पे बौछारों का पतन हो गया ।

 

दौर -ए- वादाखिलाफ़ी शुरु हो गया,
खौफ़ आदम-ए-आम ख़तम हो गया ।

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

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