उफ्फ़, दफ़अतन ये क्या हो गया, शरारों पे बौछारों का पतन हो गया ।
दौर -ए- वादाखिलाफ़ी शुरु हो गया, खौफ़ आदम-ए-आम ख़तम हो गया ।
' रवीन्द्र '