www.swargvibha.in






अहसान

 

 

करना मुझ पे, ये अहसान साक़ी,
जाम हो आख़िरी, तेरे नाम साक़ी ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

HTML Comment Box is loading comments...
 

 

Free Web Hosting