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अहसास

 

 

धड़कते दिल की ताब कहीं खो जाती है,
दूरियाँ दिल से, जब तेरी याद बनाती है,
पहली और आख़िरी, ख्वाहिश तू है मेरी,
पहुँच के तुझ तक, हर तलब सो जाती है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

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