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ख्वाब सच्चाई में बदलना है

 

 

khwab

 

 

 

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ख्वाब सच्चाई में बदलना है
इस बुरे दौर से निकलना है
बैठ कर हाथ नहीं मलना है
कोई संग ना दे फिर भी चलना है
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- बृजेश यादव

 

 

 

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