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माँ

 

 

कौन सा क़तरा वक़्त का, जिसमें कि मैं आ गया,
क्या कुछ था वजूद मेरा, जब मैं तुझमें समा गया ।

 

 

एक अहसास महिला दिवस पर,

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

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