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मन के मोहन ! तुमसे बिछड़े तो किधर जायेंगे
हम तेरे प्यार में यूँ हद से गुजर जायेंगे
ख़ाक बनके तेरी राहों में बिखर जायेंगे
इंतज़ार ओढ़ के तेरे दर पे ही मर जायेंगे
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-बृजेश यादव