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मुफ़लिसी

 

 

फूलों के बिना बागों में महक नहीं आती,
जुबानी जमाखर्च से तरक्क़ी नहीं आती ,
सत्ता से गरीब को कब हुआ हक़ हासिल,
सरकार बदलने से मुफ़लिसी नहीं जाती ।

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

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