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परेशान

 

 

हुआ है महफ़िल से बदर,
उसपे कोई इलज़ाम होगा,
आया है, तेरे दर तक,
किया सच ने परेशां होगा।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

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