इश्क़ झूठ और ग़मों का फ़साना ही सही, शायरी बुलाने का तुझे बहाना ही सही, तस्वीरे- यार है तसव्वुर की दीवारों पर, ये इश्क़ जलती शमा, मैं परवाना ही सही ।
' रवीन्द्र '