राहें अलहदा है, मगर हमसफ़र है दोनों, तो शिकवा भी है औ' शिकायत भी तुझसे, गुज़रते रहे मुसलसल, हम साथ मिल कर, तुम इस गली से, तो कभी मैं उस गली से । ( मुसलसल = लगातार, continuously )
' रवीन्द्र '