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रवि

 

 

बीती रैना दूर हुए ना,
मैं छोर दूसरे जाता हूँ,
चलते फिरते यूँ ही तो,
मैं रोज सवेरा लाता हूँ ।

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

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