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रवीन्द्र कुमार गोयल

 

 

 

 

 

 

 

मर्म भेद और राज सभी, दिलों के खोलेगी,
मिले जो सही निगाह , ये तस्वीर बोलेगी ।

सहे सदमे और गम बेहद बेशर्म सियासत के,
बदले अब निज़ाम, जम्हूरियत जुबाँ खोलेगी ।

 

 

बात किसी पेट की जरुरत की है,
या भूख ये दौलत शोहरत की है,
जरुरत इतनी भी नहीं इंसान को,
कर दे दिवालिया अपने ईमान को।

 

 

 

 

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