कुछ शेर
' बहाना '
ख़ास कोई आज, ग़म का फ़साना हो जाये,
तो क़रीब तेरे आने का, बहाना हो जाये ।
' अहमियत '
ज़िन्दगी जितनी भी जी, और कोई ख़ता ना की,
एक अदायगी फ़र्ज़ की, या अहमियत फ़र्द को दी ।
' चाँद - एक दिन का '
थी ज़रूरत रोज़े-ईद, उस पर बड़ा अहसान था,
ताक पर है मुहब्बत, बस एक दिन का चाँद था ।
' सर्द आह '
ये बेरुखी न बे-वजह , जले अरमान हैं जब,
बुझने दो इन शरारों को, हैं आहें सर्द ग़ज़ब ।
' गर्द '
महफ़िल है हसीं औ' खूबसूरत ये जमीं,
दिल के आईने से, गर्द थोड़ी जो हटी ।
' इम्तेहाने-जींद '
जाना है ज़िन्दगी को, इम्तेहाने-ज़िन्दगी से हो कर,
गुज़रा नहीं जो इम्तेहां से, करूँ कैसे उसको ख़बर ।
' शबे-ख़ास '
शबे-पाक वो गुज़र चुकी, ख़ास जिस रोज़ दीदार था,
चाँद आता अब भी नज़र, वैसा ना अब इन्तेज़ार था ।