सच्ची चाहत तो ज़माने मेँ मर गई कबकी क़िस्से हम जिसके किताबों मेँ पढ़ा करते हैँ . आप सीरत का जो चाहेँ तो मुरब्बा रख लेँ आजकल लोग तो सूरत पे मरा करते हैँ .
-बृजेश यादव