ये दिल भी आवारा है, सम्भलता ही नहीं, किसी एक की बातों से , बहलता ही नहीं, आशिक़ जितने इसके, वो भी हैं आवारा, सहारा एक तेरा, जाने क्यूँ मिलता ही नहीं ।
' रवीन्द्र '