कातिबे- तक़दीर का, पैगाम न मिला, कलम को भी ज़रा, आराम ना मिला, ज़र्रा- ज़र्रा जहाँ का रोशन किया तूने, क्या हुआ उधर से, जो सलाम ना मिला ।
' रवीन्द्र '