दहेज का दानव करे,नित्य रूप विस्तार।
क्वाँरी बेटी का पिता,सम्मुख है लाचार।
सम्मुख है लाचार,अहर्निश फिक्र सताए।
करता कोटि उपाय,सुखी बेटी हो जाए।
'पूतू' कवि की राय,रख लेना हृदय सहेज।
उस घर से रह दूर,जहाँ पर लें दें दहेज॥
पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'