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एक कुंडलिया विजयादशमी पर

 

 

दसकंधर को मारकर,किया जगत उद्धार।
आज अनेकोँ फिर रहें,राघव लो अवतार।
राघव लो अवतार,अन्याय कैसा फैला।
उजली-उजली देह,मगर मनवा है मैला।
कह 'पूतू' कविराय,शुचिता लाइए अंदर।
प्रकटेँगे श्री राम,मरे पापी दसकंधर॥

 

 

 

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

 

 

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