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हमारा समाज

 

 

करो आप अच्छा या करो बुरा
हर काम में जो टांग अड़ाए वही समाज कहलाये
चलो आप दायें या चलो बाएं
कमी निकाले जो चाल में आपकी वही समाज कहलाये
इस समाज ने क्या कुछ नहीं कर दिखाया है
कभी अनपढ़ को मंत्री तो कभी घरो में आग लगवाया है
इस समाज की माया को कोई न समझ पाया है
जिसके तानो ने हम सबका साथ ......
जीवन तो छोडो मरने तक साथ निभाया है

 

 

 

व्यंग लेखक - विनय कुमार शुक्ल

 

 

 

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