उमर के साथ साथ किरदार बदलता रहा
मौत आ जाए खुदा तो मिल जाए निजात
माफ़ कर दो आज देर हो गई आने में
आँख बंद करके भला तमघन कैसे छट पायेंगे
मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है