ऐसा भी हो जाता है जब कि शब्द नहीं आते
मैं भी कुछ कहूँ
अलग-अलग त्रिवेनियाँ
हम धरती पर प्यार से जी सकें
इक दर्द है दिल में किससे कहूँ
दूंढ़ रहा हूँ अपनी राधा,कहाँ हैं तू
चुपके-चुपके कुछ कहता है
कुछ शब्द मेहमान हैं इस महीने में