मेरी सांसों में
amar Satya
deewali ka ek juda manzar
महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता
मेरे जेहन में कई बार ये ख्याल आया
जब गुँचा बना है तो गुल भी बनेगा
जिस रोज़ हर पेट को रोटी मिल जायेगी