कुछ धमाके होते हैं और
यह जो इक दर्द है मेरे भीतर
अगर आप इसे कविता ना भी समझो
अब भी अगर तूफ़ान नहीं आयेगा
हाय गाफिल हम क्या करें.....??
ख्वाब कोई आग ही बन जाए कहीं....!