इस धरती पर सबसे बड़ी यौनी मनुष्य की मानी जाती है |
परन्तु, आज ऐसा प्रतीत होता है की शायद मनुष्य हो कर भी इंसान अपने अन्दर
की इंसानियत का स्वयम कतल कर रहा है |
इंसान यौनी को स्वयम इंसान ही गिरा रहा है |
इंसानियत का रिश्ता ,इंसानियत का कर्तव्य सर्वत्र ऊजा माना जाता है |
भगवान , ने इंसान को सबसे ज़्यादा महत्त्व इसलिए दिया है , क्योंकि
इंसानों
में सोचने की सबसे ज़्यादा शक्ति होती है |
लेकिन , आज इंसानियत शब्द का अर्थ है सवयं को मुर्ख साबित करना |
इस दुनिया में इंसानियत जैसी कोई चीच नहीं है |
हार व्यक्ति आज स्वार्थी बन कर सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचता है |
व्यक्ति को अपनी नौकरी ,अपने पैसे ज़्यादा प्यारे है किसी
और की जान से |
ना जाने लोग इंसानियत का अर्थ कब समझेगे क्योंकि जो अपने अपने
जीवन का बलिदान किसी दूसरे के लिए करे वही इंसानियत होती है |