कहते हैं पाप का घड़ा एक न एक दिन भर ही जाता है। चोर कितना ही चालाक
क्यों न हो एक न एक दिन पकड़ा या मारा ही जाता है। ऐसी ही एक बड़ी घटना हमारे
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में घटित हुई है। अमेरिका का दुश्मन नंबर-1 आतंकी
ओसामा बिन लादेन क्या मरा पाकिस्तान देश विश्व बिरादरी के सामने नंगा ही हो
गया। मक्कार, चालाकी, झूठ का बादशाह धड़ाम से औंधे मुंह ही गिर पडा। यहाँ
घायल पाक ही नहीं हुआ बल्कि
यहां रह रहे तमाम आतंकी संगठनों के मुखियां भी बैचेन हो उठे है। कहीं कल
उनकी बारी न हो? कल हो न हो? यहां सभी आतंकियों में सुरक्षित स्थान को ले
भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई है। आज पाक की स्थिति खिसयानी बिल्ली की तरह
हो गई है। पाक के राजनायकों में भी एकता नही है। पाक के राष्ट्रपति पहले और
हमेशा से कहते आए कि ओसामा का हमें पता नहीं जिंदा भी है या मर गया? कम से
कम पाकिस्तान में तो
नहीं हैं? वहीं उन्हीं के देश के अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन
हक्कानी कह रहे हैं कि पाकिस्तान को जानकारी थी कि ओसामा बिन लादेन
पाकिस्तान में ही हैं और उसे सरकार की ओर से पूरी संभव मदद दी जा रही है
तभी वो इतने वर्षों से पूर्ण सुरक्षित सैन्य क्षेत्र में असुरक्षित व्यक्ति
पूर्ण सुरक्षा के साथ परिवार के साथ वह रहा था। कहते है जो जिसका खिलाडी
होता है उसी से उसकी
मृत्यु होती हैं, पाक अमेरिका को अपनी खिसियाहट मिटाने के लिए कह रहा है कि
हमें क्यों नहीं बताया? मिशन में सम्मिलित क्यों नहीं किया।
अमेरिका खुफिया एजेन्सी सी.आई.ए. के प्रमुख लिओन पेनेट्टा कहते है कि
पाक को पहले इस मिशन की जानकारी देते तो वह इसे आतंकी को लीक कर देता।
पेनेट्टा का यह वक्तव्य अपने आप में बडा ही महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण
इसलिए अमेरिका अच्छी तरह से जानता है कि पाकिस्तान विश्वसनीय नहीं हेैं?
अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा उपसलाहकार जान ब्रेनन कहते है कि यह नहीं
माना जा सकता कि ओसामा का पाकिस्तान में सहयोग तंत्र नहीं था अन्यथा वह
लम्बे समय तक किसी भी स्थिति में रह नहीं सकता था। पाक सदा से एक ही बात
तोते की तरह दोहराता रहा है कि पाक आतंकियों को संरक्षण नहीं दे रहा बल्कि
आतंकियों के खिलाफ वह खुद लड रहा है। इस सफेद झूठ के पकड़े जाने के बाद
उल्टा चोर कोतवाल को डाटे की
तर्ज पर अमेरिका से कहा रहा है कि बिना अनुमति के पाक की हवाई सीमा में
प्रवेश का दुस्साहस अब न करें। ऐसा वक्तव्य पाकिस्तान ने अपने आका और पालन
हारा को यूं ही नहीं दिया बल्कि मजबूरीवश तालिबानियों एवं अलकायदा वालों की
धमकी जिसमें उन्होंने अमेरिका की जगह पाकिस्तान को अपना दुश्मन का माना हैं
के डर से डर कर कहीं। पाक सरकार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि
अमेरिकी पाक में घुस
कर अपने आतंकी दुश्मन का खात्मा स्वयं करेंगे।
अमेरिका सरकार की एक मायने में मैं पीठ ठोकना चाहूंगी कि अपने देश एवं
देशवासियों के प्रति वचनबद्धता एवं प्रतिबद्धता का निर्वहन जिस दबंगाई के
साथ कर पूरे विश्व में देशहित सर्वोपरि की नई मिसाल कायम की है वह बेजोड़
है। निःसंदेह पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने में विश्व के सभी
राष्ट्रों को बिना नफा-नुकसान का विचार करें एक जुट हो आतंकवाद के खिलाफ
खड़ा हो पाकिस्तान को आतंकी
देश घोषित कराना ही होगा।
पाकिस्तान में रह रहे तमाम आतंकी संगठनों को अब एक बात अच्छी तरह से समझ
मे ंआ गई हैं कि सबसे पंगे ले लेना पर अमेरिका से पंगे नहीं लेना। यह भय ही
पाकिस्तान और आतंकियों को बैचेन कर रहा हेैं।
यहाँ मैं भारत की बात नहीं करना चाहूंगी बड़ा ही कष्ट होता है कि न तो
हमारे नेताओं में देशभक्ति की भावना है और न ही प्रतिदिन मरने वाली निरीह
जनता एवं सेना के जवानों के प्रति सम्मान। देशभक्ति एवं जानता की रक्षा एवं
सम्मान का जज्बा अमेरिका से भारत को सीखना चाहिए। अमेरिका चाहता तो ओसामा
को जिंदा पकड़ सकता था लेकिन दूरदृष्टि, राजनीति एवं डिप्लोमेसी के तहत् ऐसा
नहीं किया। भारत
ने अफजल गुरू और कसाब को जिंदा पकड़कर बड़ी भारी गलती की है। इसे वह स्वीकारे
या न स्वीकारेे? भारत किस मुंह से अन्य आतंकियों को भीख की तरह मांग रहा
है? इनमें प्रमुख टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम, मौलाना मसूद अजहर, हाफिज
मोहम्मद सईद आदि। मैं कहना चाहूंगी इन सभी आतंकियों को अगर अपनी जान बचानी
है, सुरक्षित रहना है? चिकन बिरयानी खाना हैं? व्ही.आई.पी. ट्रीटमेन्ट लेना
है तो भारत में आकर
अविलम्ब, आत्म समर्पण कर ही देना चाहिए नहीं तो अमेरिका घर-घर से निकालकर
मारेगा। अब भारत को भी नोटंकी बन्द कर देना चाहिए? आतंकवाद को ले आपकी नियत
एवं रीति भारतवासियों को स्पष्ट करें, राजनीति एवं वोटनीति से ऊपर उठ अपनी
रणनीति को भी बदलना होगा। विश्व में भारत और चीन सबसे बड़े बाजार है। हकीकत
में विकसित देशों को अपने माल को बेचने के लिए हमारी जरूरत हैं, हमें नहीं?
अब भारत भी
विज्ञान की दृष्टि से विकसित देशों के साथ खड़ा हो गया है, बिन लादेन
एबटाबाद में जिस हवेली में रह रहा था उसके मालिक गुलमुहम्मद उर्फ मिठ्ठू
खान को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। अमेरिका की आतंकी कार्यवाही से पाक
नाराज है। कहता है कि अमेरिका माफी मांगे। अमेरिका का कहना अपनी जगह सौ
फीसदी सही है कि माफी पाकिस्तान से किस बात की? झूठ बोलने की? पाक के
द्वारा मोस्ट वाण्टेड आतंकी को
पनाह देने की? अपने आका अमेरिका की आंखों में विगत् 5 वर्षो से धूल झोंकने
की?
विश्व बिरादरी में पाक की हकीकत सभी देश जानते है तभी तो अमेरिका ने
मिशन के अंतिम क्षणों में उसे सम्मिलित नहीं किया। आज पाकिस्तान का असली
चेहरा सभी के सामने है वक्त है जैसा देवता वैसी पूजा करने की। साथ ही साथ
पाक की आई.एस.आई. अब बिल्कुल भी भरोसे के काबिल नहीं रह गई हैं।
दबंग बराक ओबामा ने पाक को चेतावनी देते हुए कहा जरूरत पड़ी तो फिर
एबटाबाद जैसे हमलें करेंगे। यहाँ मुझे राजकुमार की फिल्म तिरंगा का एक
डायलॉग याद आ रहा है, पहले मुलाकात, फिर बात न माने तो फिर लात। इन तीनों
बातों को अमेरिका बखूबी निभा रहा है। अमेरिका की ओर से पाक को मिलने वाला
करोड़ो डालर का अनुदान भी रोकने की बात कह अमेरिका ने पाक को जता दिया है कि
मालिक-मालिक ही रहता है
नौकर-नौकर ही।
भोपाल से प्रकाशित एक दैनिक अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि
दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ओसामा को आतंकी बताने
पर आपत्ति दर्ज की है वहीं जमात उलेमा ए हिन्द के नेता मौलाना अरशद मदनी
कहते है कि मैं विश्वास नहीं करता कि लादेन आतंकवादमें लिप्त था। हकीकत
क्या है ये दोनों ही जाने पर मैं यह जानती एवं मानती हूं कि भारतीय
मुंिस्लम नेताओं की पूर्ण निष्ठा
भारत के प्रति है। अमेरिका को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक को ले एक
स्पष्ट नीति का पालन करना होगा। अपने लिए कुछ ओर अन्य देशों के लिए कुछ ओर।
दोगली नीति से बचना होगा।