संवाद संजीवनी है


घर , कार्यालय हर रिश्ते में सीधे संवाद की भूमिका अति महत्वपूर्ण है संवादहीनता सदा कपोलकल्पित भ्रम व दूरियां तथा समस्यायें उत्पन्न करती है . वर्तमान युग मोबाइल का है , अपनो से पल पल का सतत संपर्क व संवाद हजारो किलोमीटर की दूरियों को भी मिटा देता है . जहां कार्यालयीन रिश्तों में फीडबैक व खुले संवाद से विश्वास व अपनापन बढ़ता है वहीं व्यर्थ की कानाफूसी तथा चुगली से मुक्ति मिलती है .यदि हम अपने सहकर्मियो , अधिकारियो के साथ कार्यालयीन संबंधो के अतिरिक्त मधुर व्यक्तिगत व्यवहार रखते हैं तो इसके प्रतिफल में हमें वैसी ही अनुगूंज मिलेगी जिससे हमारे कार्यो में सकारात्मक प्रगति होती है . किसी सीमा तक अपनी घरेलू परिस्थितियो की जानकारी अपने सहकर्मियो को देना गलत नही है , उनके सुख दुख में हिस्सेदारी आपको लोकप्रिय बनाती है .यह सब संवाद से ही संभव है . मैनेजमेंट के नये सिद्धांतो के अनुसार अब मैनेजर्स अपनी टीम के कर्मचारियो के जनम दिन , विवाह की वर्षगांठ या अन्य ऐसी ही व्यक्तिगत जानकारियो का लाभ लेकर , कर्मचारी से रिश्तों में मिठास लाने का प्रयास करते हैं . मन से कंपनी से जुड़ा हुआ व्यक्ति ही अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकता है . और यह जुड़ाव तभी संभव है जब परस्पर निसंकोच संवाद हो .अनेक कंपनियां आंतरिक संवाद के लिये ही गृह पत्रिकायें प्रकाशित करती हैं , जिससे प्रबंधन अपनी सोच निचले स्तर तक पहुंचा पाता है . अब तो वेब साइट का जमाना है और फीड बैक , या ग्रीवेंसेज के आइकान पर जाकर छोटे से छोटा कर्मचारी भी टाप लेवल तक अपनी बात पहुंचा सकता है .प्रायः कार्यालयो में विभिन्न एजेंडे पर मीटिंग आयोजित की हैं , जो संवाद का ही साधन हैं.आवश्यकता इस बात की है कि इन मीटिंग को दोतरफे संवाद का माध्यम बनाया जावे , इससे पारदर्शिता तथा रचनात्मकता बढ़ती है , नयापन आता है . संवाद के महत्व को ही समझकर समय समय पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जाती हैं . यहां तक कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भी स्वयं प्रधान मंत्री जी भी शपथ लेते समय , व अन्य विशेष मौको पर जनता से सीधे प्रसारण के जरिये संवाद करके अपने मन की बात लोगो तक पहुंचाते हैं . यह संवाद देश की भावी नीतियां तय करता है
इसी तरह घरेलू व व्यैक्तिक रिश्तो में लगातार संवाद से खुलापन आता है , परस्पर प्रगाढ़ता बढ़ती है , रिश्तों की गरमाहट बनी रहती है ,परस्पर समझ विकसित होती है . खुशियां बांटने से बढ़ती ही हैं और दुःख बांटने से कम होता है . कठनाईयां मिटती हें . बेवजह ईगो पाइंट्स बनाकर संवाद से बचना सदैव अहितकारी है . आज प्रायः बच्चे घरों से दूर शिक्षा पा रहे हैं उनसे निरंतर संवाद बनाये रख कर हम उनके पास बने रह सकते हैं व उनके पेरेण्ट्स होने के साथ साथ उनके श्रेष्ठ मित्र भी साबित हो सकते हैं . डाइनिंग टेबल पर जब डिनर में घर के सभी सदस्य इकट्ठे होते हैं तो दिन भर की गतिविधियो पर संवाद घर की परंपरा बनानी चाहिये . वर्तमान व्यस्तता के युग में पति पत्नी में भी संवाद शून्यता की स्थितियां देखी जा रही हैं ,अपने अपने कार्य क्षेत्र में दिन भर की थकान रिश्तों में ठंडापन ला रही है , यह सफल वैवाहिक जीवन के लिये अच्छा संकेत नहीं है . "जहां चार बरतन होते हैं खटपट होती ही है ", पर संवाद से यह खटपट , फटाफट दूर की जा सकती है , और मन पर कोई स्थाई नकारात्मक प्रभाव नही पड़ता .सप्ताहांत पर पारिवारिक पिकनिक , किसी पार्क में साथ साथ कुछ समय बिताना , किसी फिल्म को देखकर उस पर चर्चा करना , या रूटीन से अलग कुछ बदलाव लाकर हम संवाद को सकारात्मक स्वरूप दे सकते हैं .नव दम्पति में संवाद स्थापित हो , इसीलिये विवाह के तुरंत बाद उन्हें पर्यटन पर भेजे जाने की परम्परा बन गई है . यदि बच्चे छोटे हैं तो उनके स्कूल से लौटते ही उनकी दिन भर की गतिविधियो की जानकारी लेकर हम बच्चो के दोस्त , उनकी पढ़ाई , उनकी आवश्यकता आदि समझ सकते हैं . यदि हमारे साथ हमारे बुजुर्ग रह रहे हैं तो उनसे संवाद के माध्यम से हम उनके मन में एकाकीपन से मुक्ति दिला सकते हैं . पीढ़ियो का यह परस्पर संवाद आपको उनके अनुभवो से परिचित कराता है . अर्थात निरंतर संवाद से लाभ ही होता है .
विज्ञान ने हमें संवाद के , संचार के नये नये संसाधन मोबाईल , ईमेल , फोन , सामाजिक नेटवर्किंग साइट्स आदि सुलभ कराये हैं , पर रिश्तो के हित में उनका समुचित दोहन हमारे ही हाथों में है .इन संसाधनो का सकारात्मक उपयोग लोगो को "भरे समंदर में घोंघा प्यासा" , या भीड़ में गुम एकाकी इंसान बनने से रोक सकता है . हर रिश्ते में संवाद समय की मांग बन चुका है . यदि सीता जी के पास मोबाईल जैसा संवाद का साधन होता तो शायद राम रावण युद्ध की आवश्यकता ही न पड़ती और सीता जी की खोज में भगवान राम को जंगल जंगल भटकना न पड़ता . हमें तो समय ने ये संवाद के नवीनतम संसाधन सुलभ कराये हैं , फिर हम क्यों लापता हो जावें .
कल्पना श्रीवास्तव

HTML Comment Box is loading comments...
 

Free Web Hosting