आँखों का बुझ न जाये कहीं हारकर दिया
अश्कों ने साथ देने से इनकार कर दिया
दिल की तमाम ख़्वाहिशें दिल ही में रह गयीं
तुमने हमारा ख़्वाब ही मिस्मार कर दिया
इतना तो हेर-फेर हुआ उनके हाथ से
दिल की तपिश में और भी विस्तार कर दिया
सुनते थे रोज़ उनकी मसीहाइयों की बात
ये और बात है हमें बीमार कर दिया
उसने कहा था इश्क में मिट जाना फ़र्ज़ है
सो हमने अपने आपको तैयार कर दिया
..........इरशाद खान सिकंदर .....

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