छोटे बहर की ग़ज़ल: अनवर सुहैल


हदों का सवाल है
यही तो वबाल है.

दिल्ली या लाहोर क्या
सबका एक हाल है

भेडिये का जिस्म है
आदमी की खाल है

अँधेरे बहुत मगर
हाथ में मशाल है

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