दिख़ावे की मुरव्वत क्या ज़रूरी है

दिख़ावे की मुरव्वत क्या ज़रूरी है
मुहब्बत में सियासत क्या ज़रूरी है

फ़ना होना तो परवाने की है आदत
उसे फ़िर दें नसीहत क्या ज़रूरी है

मुहब्बत से हराना ही हुनर है बस
मुख़ालिफ़ से अदावत क्या ज़रूरी है

मुहब्बत हो गई है तो मुहब्बत पर
हमें भी हो निदामत क्या ज़रूरी है

क्यामत से बचाते हैं अंधेरे भी
उजालों की इबादत क्या ज़रूरी है

किसी ने ग़म दिये हैं ए‘विज़य’तो क्या
करें उसकी शिक़ायत क्या ज़रूरी है

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