ग़ज़ल के कुछ अश'आर : अनवर सुहैल

उनके संयम का संभाषण याद आया
अपने लोगों को भोलापन याद आया

सरकारी धन का बँटवारा होते देख
चोर- लुटेरों का अनुशासन याद आया

चारों ओर पडा है सूखा लेकिन आज
स्वीमिंग पुल का है उदघाटन याद आया

जिस दिन भूखे लोग इकट्ठे जोर किये
कैसे डोला था सिंहासन याद आया

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