हालत के जलते जंगल से जज़्बात समेटा करते हैं
अहसास की सम्मा से अक्सर हम दूर अँधेरा करते हैं

दुनिया से चुराकर कुछ लम्हे नजदीक बहारों के जाकर
हम नगमे लिखा करते हैं हम ग़ज़लें लिखा करते हैं

मुश्किल भी सही हमने फिर भी ईमान बचाए रखा है
कुछ लोग गुनाहों के होकर ईमान को बेचा करते है
हेमंत त्रिवेदी [अमन ]

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