कौन चला रे, कौन चला–– डा० श्रीमती तारा सिंह


कौन चला रे, यह कौन चला
जग छोड़कर ,यह कौन चला
किसकी साँस घबड़ाकर दिले –
तुंग को तोड़ा रे,यह कौन चला
ब्राह्मण आओ, ग्यानी आओ
बतलाओ, यह कौन चला
इसे रोको, इसे मनाओ, नींद
से जगाओ,पूछो,यह कौन चला
मेरा पुत्र या तेरा -सखा
इसका प्रेमी या उसका पिता
कौन चला रे, कौन चला
जग छोड़कर यह कौन चला
धू –धू कर मिट रहा तन,माटी
से मिल जा रहा,यह कौन चला

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