देखिए ! लोग हमें क्या कहते हैं
हमारी ज़फ़ा को वफ़ा कहते हैं
ति का फ़ेर है या वरना
कोई जहर को दवा कहते हैं
रख अपनों से दुश्मनी
गैर को अन्दोरूबा कहते हैं
रूठता जब भाग्य जिंदगी से
बुरे कर्मों की सजा कहते हैं
सुनाकर अपनी पीड़, न जाने
और ये क्या- क्या कहते हैं