सांसों की ही फिक्र की और बिक गई सब जिन्दगी

सांसों की ही फिक्र की और बिक गई सब जिन्दगी
सांसे थीं या थी बला, क्या फैसला करते?
उलझे-क्या करें, ना करें? हमेशा अंजामों से डरे,
मौत तक बस यही चला, क्या फैसला करते?
शराफतें पाले सीने में, बस घिरे रहे कमीनों में
आस्तीनों में विष पला, क्या फैसला करते?
दूसरों को क्यों दोष दें, गर हिम्मत ना अपना होश दे
अपनी ही हसरतों ने छला, क्या फैसला करते?
डर बसा रोम-रोम में, ध्यान हर घड़ी था विलोम में
धड़कनें थीं कि जलजला, क्या फैसला करते?
हर बार धोखा, हर बार गम, हर बार इक संगदिल सनम
अपने दिल बस ना चला, क्या फैसला करते?

HTML Comment Box is loading comments...
 

Free Web Hosting