वो राही कब मंज़िल पाने वाले थे
सब सड़कों पर आने जाने वाले थे
तुमने तो नाहक इल्ज़ाम लिया सर पर
हम तो ख़ुद महफ़िल से जाने वाले थे
कुछ को भटकाने की थी रहबर की चाल
कुछ ख़ुद ही लोग भटक जाने वाले थे
उनको कया मालूम कि दर्दे-दिल कया है
वो तो छुप कर तीर चलाने वाले थे
अब कयूं चुप हो सुनकर दुनिया की बातें
तुम सबको दर्पण दिखलाने वाले थे
मेरी तिश्नालबी की किसको परवाह थी
दोस्त खाली जाम दिखाने वाले थे