ग़ज़ल ” ये रंगीन होली “

है रंगों की दुनिया रंगीली-रंगीली,
गुलाबी रुपहली हरी और नीली|

शरम से गुलाबी गुलालों का रंग भी,
है मौसम सुहाना करो ना ठिठोली|

न जाओ पिया छोड़कर आज हमको
लरजते हैं आँसू हुई मंद बोली |

सजी सामने प्रीति रंगों की दुनिया,
दिलों में बसी है ये रंगीन होली,

दुखिया का रंग भी बने आज सुखिया,
बुलायें हमें ये दुकानें सजीली|

जी चाहता है उठा लें सभी रंग,
मँहगा बड़ा है हुई जेब ढीली |

सुना है प्रिये हो गए रंग घातक,
मिलें हैं रसायन भिगोना न चोली |

वनों में बिहँसते खिले लाल टेसू ,
उन्हीं से रंगें हम अपनी भी टोली |

सुनहरा बदन आज हल्दी लगा लो ,
मिलन सार्थक जब हथेली हो पीली|

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