बिता दी है फाको में उम्र,
मिले फाकों से निजाद,
अब के बरस|
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न लगे घाव पे नमक ,
लगे घाव पे मरहम,
अब के बरस|
वादों की थाली न मिले,
मिले मुहं को निवाला,
अब के बरस|
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बुजर्गो को मिले आराम,
नौजवानों को काम,
अब के बरस|
ऊँचाईयों के डर से बैठे हैं जो,
सहमे सहमे से,
उन परिंदों को मिले,
खुला आसमान अबके बरस