Sunil Jain
जितनी तस्वीर दिखाता है,
उससे ज्यादा छिपाता है,
क्योंकी है, ये बड़ा शहर|
रोटी देता है पर सकूँ छीनता है ,
क्यों की है , ये बड़ा शहर |
आदमी को आदमी से खुदगर्ज़ी के,
धागे से जोड़े रखता है ,
क्योंकी है, ये बड़ा श बड़ा शहर
खून बिकता है सस्ता,पर पानी बिकता ,
है महंगा ,क्योंकी ये, है बड़ा शहर|
कुत्ता ऐ. सी में रहे ,पर आदमी को नसीब,
नहीं फूटपाथ भी, क्यों की है ये बड़ा शहर |
छल कपट को नया रिवाज़ और होशियारी कहता है,
क्यों की है ये बड़ा शहर |
दिखा के सपने रिझाता ,दिखा के हकीकत डराता है ,
क्यों की है ये बड़ा शहर |