ढूँढने आए थे हम, तुझको,
तेरे रोम-२ में, खो गए हम,
पीने तो आए, थे हम तुझको,
तेरी प्यास का, पानी हो गए हम,
कभी आँखों में, मस्ती थी,
अब गीली आँखे, रहती है,
तेरे बिन चेहरा, ये सूखा,
सूखी आँखे भी, बहती है,
कहती है ख़ामोशी, भी अब,
बिन आंसू, के रो गए हम,
पीने तो आए...................
इच्छा मर गयी, सारी मेरी,
सूरज उजियारा, कहाँ देता,
चाँद भी दुश्मन, बन बैठा,
बन आग, परीक्षा ये लेता,
लेटा था मै, तेर मिलन को,
यम की नींद, ज्यों सो गए हम,
पीने तो आए...................
थक गयी आँखे, तेरी खोज में,
निराकार ज्यो, बन बैठे,
हम पिंघल-२, तेरी ओर बहे,
मेरी हालत देखकर, तुम ऐंठे,
फेंटे पत्तों, में ना मिल पाए,
भीड़ में तन्हा, रह गए हम,
पीने तो आए...................
भीड़ में मुझको, जगह नहीं,
विशेष कभी, मुझे मिला नहीं,
जब 'मनु' ना, मुझसे मिल पाया,
तुझसे कोई, गिला नहीं,
हिला नहीं, मै जड़ हूँ अब,
तेरी खातिर, खुद को बो गए हम,
पीने तो आए...................
§ बिजेंद्र एस. 'मनु'