तेरा माधुर्य रूप रसी, गाने को जब मै दौड़ा था,
पहली बार सब लुटा दिया, जो तिनकों कोटि जोड़ा था,
नितकर नत नम मन मेरा हो, मैंने ख्वाब अजूबी देखा था,
भेजा था मैंने मूक मेल, तूने प्यारा दृष्ट जब फैका था,
अपनी धारा सब रोक समेट, सब तेरी दिशा में मोड़ा था,
पहली बार सब लुटा दिया………………………..
जलकर जले हम रोज लजे, सब छोड़ा था तुझे पाने में,
मंजकर मजे लिए, खूब जमे, तुझमें खोये अनजाने में,
इच्छा से अगर चाहते मुझको, देते सब पास जो, थोडा था,
पहली बार सब लुटा दिया…………………………….
अक्सर कसर सर पर रहती, काश! तुम होते ताज मेरा,
बुनकर न कर, करके ना डर, ना छीनों सपने साज मेरा,
पीकर कर ले अब अमर प्यार, जो अब तक खूब निचौड़ा था,
पहली बार सब लुटा दिया…………………………….
टुकर-टुकर टक टकी टिका ना, टहलो ना टाल के मेरा प्यार,
सर-२ सरके सरको ना, समां साँसों में सम सा सार,
निःसार नहीं एक सार समां, जितना कभी मुझे झिंझोड़ा था,
पहली बार सब लुटा दिया…………………………….