चुनावी हाइकु

शशांक मिश्र भारती


एक-

पद-दर्शन
वह हैं शिखर पे,
हम हैं मौन।

दो-

पराये गये
केंचुलियां पहने,
अपने लोग।

तीन-

वह हैं नेता
जो देता है किसी को,
कोरा वायदा।

चारः-

वे खड़े हुए
टिककर के नहीं,
घुटनों पर।

 

पांचः-

वे तो गिरे हैं
तुम्हें भी गिरा देंगे,
सहयात्री सा।


छः-

खोज तंत्र का
खीचते ही रहिए
आतड़ियाँ भी।

सातः-

रंग अलग
मिलते सभी कब
वेतन वृद्धि।

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