हिन्दी


......शशांक मिश्र भारती


आठ शती के
संघर्ष के बाद
संकट ग्रस्त स्थिति के गुजरने के बाद
चमकने वाली हिन्दी
चमकती रहेगी,
जब तक-
सूर्य की किरणें रहेगीं
मेरी मातृभाषा-राष्ट्रभाषा रहेगी।

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