मेरे गम पर आँशु तो बहाव
दुःख के सैलाब मैं डूब जाव
जब टूटकर बिखरा कोई ख्वाब
भटक रहा, मिला ना पराव
अधूरी मंजिल, न कोई ठहराव
मेरे गम पर आँशु तो बहाव
जिसे पाकर खोने का पछताव
मुर्ख सा हारा जो हर दांव
मग्न था, न था कोई लगाव
निकला वक्त चुपचाप दबें पांव
मेरे गम पर आँशु तो बहाव
पानी के बुलबुले जैसा ताव
बेतुकी-निरश चिंताओं का प्रभाव
जिंदगी से आँख-मिचौली, न लगाव
अब टीस रहें है यादों के पुराने घाव
मेरे गम पर आँशु तो बहाव
रिश्तों मैं भी मिला अनादर का भाव
शियार से लोंगों मैं चतुराई का अभाव
हर एक को बिस्वाश करने का स्वभाव
हारी हर बाज़ी, अब हो सिर्फ पछताव
मेरे गम पर आँशु तो बहाव
:- सजन कुमार मुरारका