अपनी बाँहों में हार दो मुझको


अपनी बाँहों में हार दो मुझको, निश्चित हो जाए जीत मेरी I
ठुकरा कर फेंक अपने दिल-आँगन, पक्की हो जाये प्रीत मेरी II

तेरा प्यार सही न, प्राण तुम ले लो, मुक्ति मिल जाये आज मुझे,
मुझको तो तुम ठोकर मारो, जिससे मिल जाये ताज मुझे,
राज मेरा ना जीवन दाता, बसी है तुझमे मीत मेरी I
अपनी बाँहों में हार दो मुझको..........................

मेरे जिस्म पर का कोढ़ ही बन लो, दवा समझूंगा मै तुझको,
सपनो को छोड़ के, नींद तुम ले लो, ये जाग समझूंगा मै तुझको,
अहसान कर मुझपर, मेरा मौन ही बन लो, समझूंगा तुझको गीत मेरी I
अपनी बाँहों में हार दो मुझको..........................

छीन रौशनी अँधा कर दो, अँधियारा तारा मेरा,
सांस मेरा तुम मंदा कर दो, हृदय तुमने आ घेरा,
'मनु' पास नहीं दूरी बन जाओ, बिछ जाओ बन के रीत मेरी I
अपनी बाँहों में हार दो मुझको……………………. II

§ बिजेंद्र एस. 'मनु'

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