आतंकवादी बनाम मच्छर

 

एक मच्छर और एक आतंकवादी
दोनो की बढ़ रही है आबादी
दोनो का नाता बस खून से है
एक इंसान का खून पीता है
तो दूजा खून बहाता है।
इसलिए पीने वाला मच्छर
और बहाने वाला आतंकवादी कहलाता है
दोनों में कई समानताएं और विषमताए हैं
समानताए हैं दोनों कौम नहीं देखते
बस खून देखने की अभिलाषा होती है
मच्छर की मानें तो
स्वाद का मजा बराबर का आता है
मगर आतंकवादी कहते
जिहाद में सब जायज हो जाता है
खून जिसका भी बहे
दर्द का एहसास इंसानों को ही होता है
हाँ एक और समानता है दोनों में
दोनों छुप कर वार करने में माहिर हैं
सामने आकर लड़ने का कलेजा नहीं होता
एक सोते हुए व्यक्ति का जीना हराम कर देता है
तो दूसरा इतना बड़ा जख्म देता है
कि जिंदगी जीना हराम लगता है
जहां तक रही इनके सफाए की बात
तो आज तक मच्छर साफ नही हो पाए
तो भला इन कायरों को
कौन साफ कर पाए
एक ही उपाय है
सही मात्रा में लगातार
डीडीटी का छिड़काव
और दूसरा वोट के जरिए
ऐसे राजनीतिज्ञ पार्टियों का सफाया
जिन्होंने आतंकवाद को कौमी रंग देकर
इसका भरपूर लाभ चुनाव में उठाया

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