राह है ,राही भी है ,मंज़िल भले ही दूर हो,
एक पड़ाव चाहिये मुड़कर देखने के लिये।
कला है, प्रतिभा है, रचना है, रचनाकार भी,
थोड़े सपने चाहियें, साकार होने के लियें।
आरोह है, अवरोह है ,तान हैं, आलाप भी,
शब्द भी तो चाहियें,गीत बनने के लियें।
उच्चाकांक्षा है, ठहराव है ,और है परिश्रम भी,
इनका समन्वय चाहिये सफल होने के लियें।
दिया है ,बाती है ,तेल भी है दीपक मे बहुत,
एक चिंगारी भी तो चाहिये लौ जलने के लियें।
सावन के झूले हैं ,गीत हैं और है हरीतिमा,
विरह की एक रात चाहिये, कसक के लियें।
फूल हैं,महक है और हैं तितलियाँ भी बहुत,
एक भँवरा चाहिये सुन्दर सी कली के लियें।
तारों भरी ये रात है, पूर्णिमा का चाँद है,
चकोर बस एक चाहिये चाँदनी के लियें।
सुबह का सूरज है, दोपहर की तपिश है।
एक टुकड़ा बादल चाहिये ओढने के लियें।
बादल हैं, बरसात है ,और है हरियाली भी,
थोड़ा सा सूरज चाहये, सूखने के लियें।
धूप है ,दीप है ,फल फूल और प्रसाद भी,
भक्ति भी तो चाहये आराधना के लियें।