बंद आँखों मे कितने सारे ख्वाब हे, सबके सब सच होने को बेताब हे
निगाहों मे चमक मंजिल की, दिल मे ख्वाहिशें बेहिसाब हे
जवाँ हर एक उम्मीद आँखों मे, जिंदा हर एक अहसास हे
इरादों मे उफान, होसलों मे तूफान, हसरते बेतहाश हे
पांव ज़मीं पर रहे और उड़ना मुझे आसमानो मे
सच की दुनिया झूटी, जीना हे मुझे अरमानो मे
अब ना उतरेगी कभी, बोतले पैमानो मे
तोड़कर निकला हे जो साकी, जाम सब मयखानो मे
छुटा अँधेरा, छाई रौशनी दूर तलक, ज़मीं पर उतरा कोई आफताब हे
बंद आँखों मे कितने सारे ख्वाब हे, सबके सब सच होने को बेताब हे