भारत और भारतीयता–विनोद विस्सा

भारत और भारतीयता की जब बात आती है
ये नेताओं के चेहरों से हंसी क्यूं उड़ जाती है
नूर ए चश्म चेहरा क्यूं पिलपिला हो जाता है
मुंह चुसे हुये आम सा रुखा सूखा रह जाता है
क्यूं देश भक्ति की बातें अब फैशन का शो है
राष्ट्र व राष्ट्रियता की बातें पिछड़ेपन का श्रोत है
अखण्ड, दृढ़ भारत की अब निंव बन जाना है
राष्ट्र स्वप्न लूटेरों पर वज्र सा टूट जाना है

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